हिंदू धर्म में गाय को मां और देवी का दर्जा दिया गया है। गाय को धार्मिक, आध्यात्मिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से जीवनदायिनी माना गया है। धर्मग्रंथों के अनुसार, गाय में 33 कोटि देवताओं का वास होता है, जिनमें 12 आदित्य, 8 वसु, 11 रुद्र और 2 अश्विनीकुमार शामिल हैं। गाय का महत्व न केवल पूजा-अर्चना में है बल्कि यह हमारे पर्यावरण, स्वास्थ्य और सकारात्मक ऊर्जा का भी स्रोत है।
धार्मिक महत्व:
गाय को सभी पवित्र योनियों में सर्वश्रेष्ठ माना गया है। यह माना जाता है कि जिस स्थान पर गाय आनंदपूर्वक खड़ी हो जाती है, वहां का वास्तु दोष स्वतः समाप्त हो जाता है। पुराणों के अनुसार, गाय के खुरों में नागदेवता का वास होता है, जिससे उस स्थान पर सांप और बिच्छू नहीं आते।
गाय की पूंछ को हनुमानजी का वास माना गया है, जिससे बुरी नजर उतारने के लिए गाय की पूंछ का झाड़ा प्रभावी होता है। गाय के दूध, घी, मक्खन, दही और गोबर से बने पंचगव्य को धर्मशास्त्रों में अमृत समान माना गया है।
वैज्ञानिक महत्व:
गाय के दूध में स्वर्ण तत्व पाया जाता है, जो रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। गोमूत्र और गोबर से बने उत्पाद पर्यावरण के लिए उपयोगी और जैविक खेती के लिए अत्यंत लाभकारी हैं।
अद्भुत मान्यताएं:
- गाय के गले में घंटी बांधने से नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है।
- गाय खुशी से रंभाती है तो माना जाता है कि उस स्थान पर देवी-देवता पुष्प वर्षा करते हैं।
- किसी भी अटके हुए कार्य को गाय के कान में कहने से वह शीघ्र पूर्ण होता है।
- काली गाय की पूजा करने से नवग्रह शांत होते हैं और ग्रह दोष समाप्त होते हैं।
गाय भारतीय संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है और इसे संरक्षित करना हमारा दायित्व है। गौसेवा और गौपूजन से मनुष्य को सुख-शांति और समृद्धि प्राप्त होती है।
(लेखक: मनीषा शर्मा)